एक ख़याल

चौखट पर  है  मंज़िल  तेरे खयालो मै क्या रखा है ..
हिम्मत कर कुछ करने की तू  खुदा तेरे इंतज़ार मई बैठा है ...

हाथ रख सीने पर अपने क्यों परिणामो से डरता है..
हौसले क्र कुछ बुलंद अपने अगर सीने में दफन कुछ रखा है ..

यह भोर भय यह अन्धकार से अब तुझे है डरना क्यों ..
जब करनी है मुकम्मल आरज़ू फिर क्यों बंदिशों में बाँध रखा है ..

अब असफलताएं, निराशाएं और डर से कोसो आगे तुझे जाना है..
ज़माना कर रहा जो ऊँगली तुझपर कर कुछ चुप तुझे उसे करना है...

क्यों डर रहा अपने आप से तू स्वयं के भूत से तू ..
तू खुद मुकम्मल इंसान है फिर किस करिश्मे के इंतज़ार में रहता है ..

वो साहिल वो क्षितिज वो आसमान क्या अब तुजसे बड़ा हो गया ..
अरे तू तोह खुद बवंडरर है जूनून का फिर क्यों खामोश तू हो गया ...

वो तेरा कतरा कतरा मेहनत का एक दिन रंग लाएगा ...
तू यकीं तोः कर अब खुद पर यक़ीनन सफलता को भी पाएगा ...

तुझे बढ़ना है तू बढ़ते जा अगर करना है कुछ फिर लड़ते जा ...
ऐ इंसान मत बैठ अब खामोश तू क्र कुछ तोः सही अब अपने दिल का
वरना तेरा जूनून कभी कबर में संग तेरे दफ़न हो जाएगा
कर पाएगा क्या तू कुछ तब जब खुदा बुलाएगा दर तुझे अपने
तेरा इंतकाल हो जाएगा..?


तू किसी करिश्मे क इंतज़ार में उधर खुदा तेरे इंतज़ार में बैठा है तू मेहनत तोः कर तू सुनेगा...
           
                           ll तथा अस्तु तथा अस्तु तथा अस्तु तथा अस्तु ll

                                                                                                                           -


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