क्या खुदगर्ज़ हो तुम ..

















हे मेरे दोस्त क्या खुदगर्ज़ हो तुम..,
क्या अपने सिवा तुम्हे कुछ दिखाई नहीं देता .
.
सुना है तबियत से हाल भी नहीं पूछते तुम
"कभी दोस्त तो कभी खामोश मुसाफिर का"!
लग जाते हो तब तुम बनाने सरहदे दोनों के दरमियाँ
ताजुब तो ये वो दूरियां होती है
किसी दूरभाष यंत्र से किताबो, मेहेज़ कुछ बातो से नहीं..
क्या संग बैठे उस दोस्त किसी खामोश मुसाफिर का दर्द तुम्हे आँखों से दिखाई नहीं देता..
'' मत कहना पत्थर हो चले हो अब तुम्हे ज़ज़्बातो का बवंडर सुनाई नहीं देता "...

हे मेरे दोस्त'
कोई बया करे ज़ज़्बात जब कागज़ पर तब बना देते हो हर उस शख्श को तुम मुलाज़िम-ा-आशिक़
वो दरअसल खूब कर देते होना screen पर up और down तो बस..'
वक़्त उस screen पर तुम्हे ज्यादा होता कभी नज़र-दिखाई नहीं देता..
वो संग जो बैठा है तुम्हारे वो दोस्त वो मुसाफिर कितना तन्हा कर दिया तुमने
क्या उस अकेलेपन का शोर अब तुम्हे सुनाई नहीं देता..
हे मेरे दोस्त क्या खुदगर्ज़ हो तुम तुम्हे अपने सिवा कुछ दिखाई नहीं देता...

कभी
सफर करते रेल-बस मई नौटंकिया हुआ करती थी.
बजते थे जब सबके संग-मय  डमरू-बाजे तब मोबाइल की दुनिया कहाँ ही हुआ करती थी..
चाय-अख़बार क बहाने लोगो से कुछ गुफ्तगू हुआ करती थी
तब प्यार झलक जाता था प्यार नैनो से ही तब FB -INSTA की
प्यार का LIKE बनती फरेबी दुनिया थी नहीं सबके समक्ष हैकियत थी हुआ करती..
हे मेरे दोस्त क्या अब नादान हो तुम तुम्हे अब कुछ समझ-दिखाई नहीं देता..

याद है ..??
कभी घरवालों के संग बेठ एक मेज़ पर खाना भी खालिए करते थे..
बाहर जा न खींचते थय संग खाने क सेल्फ़िया बल्कि,
झुठ बोलकर खाना थे न छोड़ते "माँ आज नमक थोड़ा ज्यादा है खाने मे"
कुछ इस कदर माँ से भी दो बाते बतिया लिया करते थे ...
हीर-रांझे तो तब भी हुआ करते थे पर उन दिनों
दादा-जी क संग बैठकर उन्हें भी दो खबरे सूना दिया करते थे..
हे मेरे दोस्त क्या अब खुदगर्ज़ हो चले हो तुम तुम्हे अब अपने सिवा क्या कुछ दिखाई नहीं देता ...

वो पिंकी जो एक कोने गुपचुप सी बैठी है तुम्हे लगती होगी पागल और reserved type पर
नहीं पता तो ये की वो शायद Blue w
hale खेल रही है ..
सोचो ककभी क्यों है ये सरहदे हम सब क दरमियाँ..
मुझे मालूम है हो तुम भी इंसान तो सोचोगे तुम भी कभी..

कभी कुछ खोये से संग बैठे उस दोस्त उस खामोश मुसाफिर को cheap न समझना तुम..
कभी रुकजाए गाडी किसी की ज़ेबरा क्रासिंग पर तुम्हारे लिए तुम
उसके बोनट को उस संग खामोश संगी क कंधे को थपथपा लिया करो
मत कहना अब खुदगर्ज़ हो चले हो तुम्हे अपने सिवा कुछ दिखाई नहीं देता ...




source- aabhas06 @instagram




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