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आभास
poetry and storytelling
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October 01, 2019
ज़रा याद करो
भूल गए उस खवाब को जो तुमने बंद पलकों से देखा था
ज़रा याद करो वो तुम्हारा अपना प्यार जो खुली पलकों से किआ मैंने अनदेखा था..
..
हाँ याद नहीं वो बात जो आहिस्ता से मैंने कहदी थी..
ज़रा याद करो वो लम्हात जब एक तरफ थी तलब तुम्हारी और एक ओर मेरी खामोशी थी ..
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