गुदगुदी

आंखे मुंदी-मुंदी सी,
लब पे हसीं छुपी सी,
कानों में मेरे एक सुर घुल रहा...

रातों को जागु में तो,
चाँद को निहारूँ में तो,
चेरा तेरा अब निहारने का नशा...

जुगनुओ में टिमटिमाते जैसे मेरे ख्वाब है ये ,
साँसों की सरसरहट में एक राज़,
लगता..है हर घडी हो साथ-साथ मेरे,
हर सुबह क्यों रहता दिल मिलने को बेताब तुजसे..?.

तू बता तू बता...
हो गया मुझको आज ये क्या ?
तू बता तू बता...
ये सच है कोई ख्वाब है क्या ?
तू बता तू बता...
आखिर हो रही ये बात है क्या ?
तू बता तू बता...
तेरे साथ भी ये बात है क्या ?

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