मैं शून्य हु

हां  मे शून्य हु एक ख्याल हु...
तू लेख है अनेक है, सच हु मे, मे एक हु.
हां मे शून्य हु एक ख्याल हु..

तू असमँझ है तू रिक्त है.. मे शून्य हु मे पूर्ण हु..
प्रचंण्ड हु प्रलय हु मे ,पाप तू  पुण्य हु मे ..
हां मे शून्य हु आभास कर ख्याल हु...
हां मे शून्य हु...

तू बेगैरत है बहाव तू निरन्तरर होता बदलाव तू ...
मे अंतकाल ठहराव हु आभास कर ख्याल हु..
कण-कण मे विराजमान हु, हां मे शून्य हु..
मे एक ख्याल हु..

चशमदीद हु मे मौन/खामोश हु बेरूप हु...
कलमों से बयान न हो सकू वो अनकहा अलफ़ाज़ मे पाठ हु..
मे शुरुआत हु मे अंतत हु, पर्वतो पर विराजमान हु..
आभास कर नीलकंठ हु हां मे शून्य हु
मे एहसास हु..

दानव मे मानव मे ..वृक्ष हु पंछी भी मे
नंदी पर सवार मे सेवन करता धतूरा-भांग मे
केश मे गंगा लिए, गले मे विराज नाग है...
अघोर मे भैरव भी मे, सरल हु विकराल हु
करु जो तांडव वो मे, ध्यान मे विलिप्तत्त मे
मे ध्यान हु ख्याल हु ...
आभास कर तेरे प्रत्यक्ष मे ""शम्भुनाथ हु ""...

हाँ मे शून्य हु एक ख्याल हु ...
मे शून्य हु मे शून्य हु

https://www.instagram.com/p/Bymh8annQNn/?utm_source=ig_web_copy_link

Comments

Popular Posts